सादुलशहर ब्लॉक के गांव सरदारपुरा जीवन की स्थापना करीब 146 साल पहले फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा विक्रम संवत् 1936 (सन् 1879) में हुई थी। ग्राम पंचायत क्षेत्र में जमीयतसिंहवाला, ओडांवाली, चक 6 एसपीएम भी शामिल हैं। गांव की नींव सरदाराराम सहारण ने रखी थी। गांव का नाम सरदाराराम व उनके बेटे जीवनराम सहारण के नाम पर सरदारपुरा जीवन हो गया।
गाँव का विवरण: सरदारपुरा जीवन
- ब्लॉक: सादुलशहर (Sadulshahar)
- जिला: श्रीगंगानगर (Sri Ganganagar)
- स्थापना: सन् 1879 (विक्रम संवत 1936)
- संस्थापक: सरदाराराम सहारण (नामकरण: सरदाराराम और उनके पुत्र जीवनराम के नाम पर)
- पिन कोड : सरदारपुरा जीवन Pin Code 335037
Sardarpura Jeewan Village Sadulshahar, Sri Ganganagar : History, Panchayat & News | Sadulshahar, Sri Ganganagar : गांव “सरदारपुरा जीवन” राजस्थान राज्य के श्रीगंगानगर ज़िले में आता है और यह सादुलशहर ब्लॉक की एक ग्राम पंचायत है।
सेवानिवृत्त शिक्षक बीरबल राम गोदारा (95) अपने बुजुर्गों के हवाले से बताते हैं कि गांव की बसावट के समय पेयजल और परिवहन की व्यवस्था नहीं थी। गांव में पेयजल के लिए एक कुआं खोदा गया लेकिन पानी खारा था, जो पीने लायक नहीं था। ऐसे में कुएं का पानी पशुओं को पिलाने और कपड़े आदि धोने के काम में लिया जाता था। जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाता था। बारिश का पानी एकत्रित कर उसका भी उपयोग करते थे। पीने का पानी गांव जोगीवाला से लाते थे। गंगकैनाल का निर्माण हुआ तो एलएनपी नहर से पानी लाने लगे। पानी लाने के लिए ऊंट व बैलगाड़ी का उपयोग करते थे। गांव में करीब सवा सौ साल पुराना कुआं और इसके नजदीक पीपल का पेड़ गांव के हर सुख दुख के साक्षी है। इसी पीपल के पेड़ के नीचे कई दशकों तक गांव के लोगों की चौपाल भी जुटती रही है। अब यह चौपाल चौकियों पर लगने लगी।
पंचायत का लेखा-जोखा
- जनसंख्या: 5300
- साक्षरता: 93 प्रतिशत।
- विशेष: पुराना सूखा कुआं और पीपल का पेड़, गांव में भगवान विष्णु का करीब 52 साल पहले बना मंदिर।
- कनेक्टिविटी: श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ मार्ग से 3 किमी संपर्क सड़क।
970 में गांव श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ रोड से जोड़ने के लिए लिंक रोड का निर्माण किया गया। रोड का निर्माण होने से परिवहन की सुविधा मिलने लगी। सन् 1990 में सरदारपुरा जीवन को ग्राम पंचायत का दर्जा मिल गया। कृष्ण लाल गोदारा पहले सरपंच निर्वाचित हुए। इससे पहले यह गांव मम्मड़खेड़ा ग्राम पंचायत में था। जीवनराम की सातवीं पीढ़ी के सदस्य रिटायर्ड शिक्षक रघुवीर सहारण बताते हैं कि 1960 के दशक में भाखड़ा परियोजना के तहत गांव के नजदीक से माइनर का निर्माण किया गया। इसका नाम सरदारपुरा माइनर रखा। यह क्षेत्र सिंचित होने से रबी व खरीफ के साथ जायद की फसल भी होने लगी।
काशीराम खोखा (92) बताते हैं कि गांव में 1973 में विष्णु भगवान के मंदिर का निर्माण किया गया था। वर्तमान में जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
प्रमुख आँकड़े (पंचायतनामा के अनुसार):
- जनसंख्या: 5300
- साक्षरता दर: 93%
- ग्राम पंचायत का दर्जा: सन् 1990 में मिला (इससे पहले मम्मड़खेड़ा पंचायत में था)।
- प्रथम सरपंच: कृष्ण लाल गोदारा।
ऐतिहासिक व भौगोलिक जानकारी:
- कनेक्टिविटी: श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ मार्ग से 3 किमी संपर्क सड़क।
- सिंचाई: 1960 के दशक में ‘सरदारपुरा माइनर’ (भाखड़ा परियोजना) का निर्माण हुआ।
- धार्मिक स्थल: भगवान विष्णु का मंदिर (1973 में बना, अब जीर्णोद्धार हो रहा है)।
- प्राचीन धरोहर: करीब सवा सौ साल पुराना सूखा कुआं और पीपल का पेड़।
ग्राम पंचायत सरदारपुरा जीवन 146 साल पुराना ऐतिहासिक गाँव इतिहास, संस्कृति और विकास | सादुलशहर, श्रीगंगानगर
Gram Panchayat Sardarpura Jeevan
Introduction Welcome to the official website of Sardarpura Jeevan, a vibrant village located in the Sadulshahar block of Sri Ganganagar district, Rajasthan. Known for its rich heritage and progressive community, our village stands as a symbol of unity and development.
Our History The foundation of Sardarpura Jeevan was laid approximately 146 years ago in 1879 AD (Vikram Samvat 1936). The village was founded by Shri Sardararam Saharan and was subsequently named after him and his son, Shri Jeevanram Saharan.
From its humble beginnings, facing water and transport challenges, the village has transformed significantly. In 1990, Sardarpura Jeevan was officially granted the status of a Gram Panchayat, with Shri Krishna Lal Godara serving as the first elected Sarpanch.
Key Highlights & Demographics
- Literacy: We take pride in our impressive literacy rate of 93%.
- Heritage: The village preserves its history through the century-old well and the iconic Peepal tree, which has been a community gathering spot for generations.
- Spiritual Center: The Lord Vishnu Temple, originally built in 1973, serves as the spiritual heart of the village.
- Agriculture: Thanks to the ‘Sardarpura Minor’ canal constructed in the 1960s (under the Bhakra project), our farmers cultivate Rabi, Kharif, and Zaid crops successfully.